कई रोगों को एक साथ भगाता हे यह कंदमूल, माँ की तरह शरीर की रक्षा करता हे…

अदरक के नाम से गरीब-अमीर सभी परिचित हैं। यह आर्द्र अर्थात कुछ नम होती है अर्थात इसकी छाती में मां के दूध के समान रस होता है इसीलिए इसे अदरक कहते हैं। यह अमृत के समान रस की रक्षा करती है। किन्तु जब इसका प्रयोग मनुष्य करता है तो यह शरीर की रक्षा, करती है।

सूखने के बाद यह सोंठ बन जाती है। इसकी सबसे बड़ी विशेषता यही है कि सूखने के बाद भी इसके गुण ज्यों के त्यों बने रहते हैं। इसमें जल तत्त्व का भाग होते हुए भी गरमी की धारा की कमी नहीं है। अदरक के इसी बेजोड़ गुण के कारण वैद्य इसे ‘उष्ण’ ‘गरम’ कहते हैं। कुछ वैद्यों के कथनानुसार अदरक गरमतर है।

अदरक की विशेषताएं:

  • कुछ लोग अदरक को चाय में डालकर भी पीते हैं। यह वायु के विकार को नष्ट करके शरीर के रसों को शक्ति प्रदान करती है इसलिए इसका प्रयोग किसी भी दृष्टि से हानिकारक नहीं है।
  • अदरक गरमतर होती है इसलिए इसका प्रयोग सीमित मात्रा में ही किया जाता है।
  • अदरक की अलग से सब्जी बनाई जा सकती है लेकिन इसका प्रयोग अन्य साग-सब्जियों को गुणकारी बनाने के लिए किया जाता है, जैसे-फूलगोभी, पत्तागोभी, आलू, टमाटर आदि में छोटी-छोटी फांकें काटकर डालना।
  • अदरक की तासीर गर्म पहले है और तर बाद में। अत: कुछ वैद्यों का कहना है कि गर्म प्रकृति के स्त्री पुरुषों को इसका सेवन नहीं करना चाहिए। मगर मेरा विचार है कि पुरुष की प्रकृति तो सदैव गरम ही रहती है। इसलिए ऐसी कोई बात नहीं है। हर तरह के स्वभाव वाले व्यक्ति को इसका प्रयोग करना चाहिए। इसका प्रयोग सभी ऋतुओं में लाभकारी है।

 

  • इसे ‘अपाकसब्जी’ भी कहते हैं क्योंकि यदि इसे आग पर बिना पकाए भी खाया जाए तो यह शरीर के अंग-अंग में शक्ति भर देती है।”  चूंकि अदरक कल्याणकारी है इसलिए इसे शतगुणों की खान भी कहा जाता है।
  • अदरक साग, सब्जी, दवा, टॉनिक आदि सब कुछ है। इसलिए इसे ‘महौषध’ भी कहते हैं।
  • अदरक की झरक तथा तेजी को कम करने के लिए बहुत से लोग अदरक की छोटी-छोटी फांकों में नीबू निचोड़कर भोजन के साथ खाते हैं। इससे भोजन स्वादिष्ट हो जाता है और पाचक भी।
  • इसके पौधे छोटे-छोटे होते हैं और यह आलू, शकरकंदी आदि की तरह भूमि के भीतर फूलती है।
  • सिर के दर्द, कमर के दर्द, पेट के दर्द, बेचैनी, घबराहट, आदि छोटे-मोटे रोगों के लिए यह रामबाण है।

 

  • यह घबराहट, थकान, प्यास आदि को शान्त करके शरीर में ताजगी तथा ठंडक भरती है।
  • कफ प्रधान लोगों के लिए यह लौंग के समान काम करती है। छाती पर जमा सारा बलगम निकालकर बाहर करती है अत: खांसी नहीं बनने पाती।
  • अदरक मांसपेशियों के तनाव को कम करके शरीर को फुर्तीला बनाती है। यदि हाथ-पैरों में दर्द हो रहा हो, गरदन अकड़ गई हो या जांघों में कलन पड़ रही हो तो अदरक व नमक का प्रयोग बड़ा लाभकारी रहता है।

 

 

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