पाचन सबंधित सारी समस्याओ का जड से इलाज करेगा ये फल…

अनार और सौ बीमार’ वाली बात तो आपने सुनी ही होगी। इस बात से ‘ए के जता चलता है कि अनार कितना महत्त्वपूर्ण फल है। यह एक ऐसा फल है जिसके बीज बहुत छोटे-छोटे होते हैं। यह बहुत सरलता से पच जाता है और अन्य फलों की अपेक्षा अत्यधिक ताजगी देने का गुण रखता है। स्वास्थ्यवर्धक गुणों के कारण यह प्राचीन काल से ही अत्यंत उपयोगी फल माना जाता रहा है। मोटे छिलके में लिपटे हुए अनार के बहुत से मोती से दाने अपनी निराली छटा दिखाते हैं। अतः अनार को उसमें काफी संख्या में दाने होने के कारण सम्पन्नता का प्रतीक माना जाता है। अनार के दानों के ऊपर लाल भूरे रंग का गूदा लिपटा रहता है और उसके बीच में पतली-पतली झिल्लियां अलग-अलग खानों की तरह उन दानों की रक्षा करती हैं।

अनार मुख्यतः तीन प्रकार का होता है—मीठा, खट्टा और खट्टा-मीठा मिला हुआ। इस प्रकार उसके स्वाद में विभिन्नता के साथ-साथ उसके गुणों में भी अंतर आ जाता है। मीठा अनार वात, पित्त और कफ आदि तीनों दोषों को शांत करता है। स्मरणशक्ति बढ़ाता है। शरीर में स्फूर्ति और कांति पैदा करता है। इससे शरीर पुष्ट होता है। बल और बुद्धि की वृद्धि होती है।

मीठे अनार का एक भेद बेदाना अनार है। वह बहुत मीठा और रसदार होता है। इस मीठे अनार का उपयोग प्रायः खाने के बाद ‘स्वीट डिश’ के रूप में किया जाता है। ऐसा विश्वास किया जाता है कि अनार का मूल उत्पत्ति स्थान अफगानिस्तान और ईरान है। यह भी पता चला है कि प्रारम्भ में जिस बेबीलोनिया में सभ्यता का विकास हुआ, वहां के उद्यानों में, जिन्हें हेंगिगा गार्डन कहा जाता है, उस स्थान से भी अनार का सम्बन्ध है। भारत तथा अन्य स्थानों में भी इसकी उत्पत्ति मानी गई है। राजस्थान के जोधपुर नामक शहर में तथा उसके आस-पास के क्षेत्र में अनार बहुत होता रहा है। गुजरात, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और कुछ अन्य प्रदेशों में अनार काफी मात्रा में उत्पन्न किया जाता है।

पाचन संबंधी रोगों में: अनार का रस पाचन संबंधी रोगों में बहुत लाभदायक सिद्ध होता है। इसके प्रयोग से भूख बढ़ती है। आमाशय, तिल्ली और जिगर की दुर्बलता में भी अनार का प्रयोग किया जाता है।

संग्रहणी, दस्त और उल्टियां आने पर अनार के प्रयोग से लाभ होता है। यदि पतले दस्त लगे हों तो अनार का रस थोड़ा-थोड़ा लेने से आराम आता है। खट्टा-मीठा अनार पाचन शक्ति को ठीक करके भूख बढ़ाता है। अनार का रस पीने से रुका हुआ मूत्र सरलता से बाहर आ जाता है। इसके खाने से आमाशय में भोजन को पचानेवाले रसों का निर्माण होता है।

पेट के कीड़े: अनार के रस का नित्य प्रयोग करते रहने से बच्चों के पेट के कीड़े आसानी से नष्ट हो जाते हैं। अनार के दानों का रस नकसीर आने पर नाक में डालने से नाक से रक्त बहना बंद हो जाता है।

जैसाकि पहले बताया जा चुका है कि अनार तथा उसके वृक्ष के सभी भाग प्रयोग में आते हैं। अनार की जड़, तने की छाल और इसके पत्तों का चूर्ण विशेष रूप से आंतों के कीड़ों को नष्ट करने के लिए बहुत लाभदायक होता है। अनार के वृक्ष की जड़ की छाल को पानी में उबाल कर पीने से पेट के कीड़े जल्दी शांत हो जाते हैं। दिन में तीन बार अनार के जड़ की छाल का काढ़ा पीने से और रात को सोते समय अरंडी का तेल दूध में डालकर पीने से एक-दो दिन में ही पेट के कीड़े नष्ट हो जाते हैं।

पेट के अन्य रोगों में: पेट के अन्य रोगों में अनार के दानों पर काली मिर्च और काला नमक डाल कर पीने से पेट दर्द में आराम आता है। पेट का दर्द शांत होने से वास्तविक रूप से भूख लगती है और भोजन में रुचि बढ़ती है।

मुख्य रोगों में: अनार के फल का छिलका छाया में सुखाकर बारीक पीसकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण में कुछ सादा नमक मिलाकर दांत साफ करने के लिए पेस्ट तथा पाउडर के रूप में इसे इस्तेमाल कर सकते हैं। पेस्ट के रूप में प्रयोग करना हो तो चूर्ण में थोड़ा सरसों का तेल मिलाकर दांत साफ करने से दांत चमक उठते हैं। धीरे-धीरे इसे उंगली से मसूढ़ों पर मलने से मसूढ़ों की सूजन तथा पीप या रक्त आदि भी बहना बंद हो जाता है और मसूढ़े स्वस्थ रहते हैं।

पायरिया दांतों और मसूढ़ों का प्रमुख रोग है। पायरिया में दांतों और मसूढ़ों के साथ मवाद का आना अनेक रोगों का कारण बनता है। अनार की छाल का यह कृमि चूर्ण दांतों और मसूढ़ों से मवाद निकलना बंद करता है, इससे मुख शुद्ध रहता है। अनार के छिलके का चूर्ण और उसमें थोड़ा नमक मिलाकर गोलियां बना लेने से और उन्हें चूसते रहने से खांसी में आराम होता है।

खट्टे अनार से जो अनारदाना बनाया जाता है, उसे पीसकर बनाए गए चूर्ण बाजार में अनेक प्रकार के पैकिटों में मिलते हैं। इस प्रकार का चूर्ण घर में भी बनाया जा सकता है। काली मिर्च, भुना हुआ जीरा, सेंधा नमक और मूंग के दाने के बराबर भुनी हुई हींग और 70 ग्राम के लगभग अनार दाना लेकर इनको बारीक पीस लें। उसमें स्वाद के अनुसार थोड़ी चीनी भी मिलाई जा सकती है। इसके खाने से अरुचि नष्ट होती है। अनारदाने की चटनी भोजन में रुचि बढ़ाने का एक बहुत अच्छा साधन है। किसी भी चटनी में अनारदाना एक विशेष स्वाद पैदा कर देता है तथा भोजन को रुचिकर और पाचक बना देता है।

अन्य उपयोग: ‘एक अनार, सो बीमार’, यह कहावत अनार से रोगों के संबंधों को उजागर करती है। लेकिन एक स्वस्थ व्यक्ति के लिए अनार कैसे स्वास्थ्यवर्धक सिद्ध हो सकता है, वह इसका प्रयोग कैसे करे, इस संदर्भ में यहां उसके कुछ नये रूप आपके लिए प्रस्तुत है।

शांतिदायक रस: अनार का रस पीने से ज्चर तथा अन्य रोगों में कमजोरी के कारण लगनेवाली प्यास शांत होती है। जैसा कि पहले बताया जा चुका है, इसके प्रयोग से जिगर, तिल्ली और हृदय को बल मिलता है। गुर्दे सक्रिय होकर काम करने लगते हैं। अनार का प्रयोग करते रहने से शरीर में रोग-रोधक क्षमता बढ़ती है। गर्मियों में अनार का शर्बत प्यास और बेचैनी को दूर करता है।

 

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