आज केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह मां शाकुंभरी के नाम पर सहारनपुर को विश्वविद्यालय की सौगात देंगे। वे विश्वविद्यालय की आधारशिला रखेंगे। इसके बाद यहां उनका जनसभा को भी संबोधित करने का कार्यक्रम है। उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में शहर से लगभग 45 किमी दूर बेहत तहसील में पहाड़ों की तलहटी में स्थित मां शाकंभरी देवी शक्तिपीठ की बहुत मान्यता है।
मान्यता है कि देवी मां के दर्शन मात्र से मनुष्य के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। प्राकृतिक सौन्दर्य के मध्य पहाड़ियों की तलहटी में स्थित मां शाकंभरी देवी सिद्धपीठ पर लाखों लोग आते हैं। जब दुर्गमासुर नाम के राक्षस के आतंक से तीनों लोक त्राहि-त्राहि करने लगे तब देवताओं के आह्वान पर मां शाकंभरी प्रकट हुईं। इसके बाद मां शाकंभरी का दानवों से भीषण युद्ध हुआ। जिसमें मां ने राक्षसों का तो अंत कर दिया।
पृथ्वी पर इस युद्ध की वजह से हरियाली समाप्त हो गई। देवताओं की प्रार्थना पर मां भगवती ने कन्दमूल तथा शाक सब्जी उत्पन्न की, जिससे मानव जाति का पोषण हो सके। इसलिए मां भगवती को यहां शाकंभरी देवी के नाम से पूजा जाता है।
यहां आने वाले भक्तों का कहना है कि मां शाकंभरी के दर्शन करने के बाद मन को बहुत सकून मिलता है। पहाड़ों के बीच बने मां के मंदिर की अद्भुत छटा देखते ही बनती है। मां शाकंभरी देवी के दर्शन के लिए दूर दूर से भक्त आते हैं। देवी मां के दरबार में सुबह से ही भक्तों की भीड़ जुटना शुरू हो जाती है। लम्बी-लम्बी कतारों में घंटों खड़े होकर मां के जयकारे लगाते हुए मां के दर्शनों का इंतजार करते हैं।
ऊपर से देखने पर मंदिर व उसके आसपास का नजारा मन को मोह लेने वाला होता है। बाजार में प्रसाद की दुकानें सजी रहती हैं। मां शाकंभरी देवी के दरबार में वैसे तो सालभर भक्तों की भीड़ रहती है, लेकिन नवरात्र में यहां पूजा आराधना का विशेष महत्व है। कई श्रद्धालु जमीन पर लेट-लेट कर अपनी यात्रा पूरी करते हैं। मान्यता है कि मां शाकंभरी देवी के दर्शन से पूर्व मंदिर से लगभग एक किमी पहले स्थित भूरा देव मंदिर में दर्शन करने जरूरी होते हैं।
भगवान शिव की शक्ति मां जगदम्बा के ही अनेकों रूपों में से एक रूप जंगल में मंगल करने वाली मां शाकंभरी को भी माना गया है।