अल्पविकसित स्तन की समस्या, जानिए इनके पीछे की शारीरिक एवं मानसिक वजह…

मोटा और सुडौल स्तन एक महिला की सुंदरता माना जाता है। यह प्यार और स्नेह का भी प्रतीक है। सुंदर और मजबूत स्तनों वाली अजंता-एलोरा और खजुराहो की मूर्तियां कला का एक ऐसा काम है जिसमें वासना का नहीं बल्कि पवित्रता, सौंदर्य और प्रेम की सुगंध है। धीरे-धीरे नारी सौन्दर्य में स्तनों के योगदान को स्वीकार किया गया और सौन्दर्य की दृष्टि से इसे महत्वपूर्ण स्थान दिया गया। स्तनपान को अब गौण माना जाता है और इसे केवल सुंदरता और यौन आकर्षण का केंद्र माना जाता है। इसीलिए आजकल ब्रेस्ट ब्यूटी का महत्व बढ़ता जा रहा है।

सौंदर्य के प्रति जागरूक कई महिलाएं अब अविकसित स्तनों या शुष्क स्तनों की समस्या से ग्रसित हैं। इस वजह से वे जीवन में बहुत सारी खुशियाँ खो रहे हैं। कई अविकसित स्तनों के कारण शादी नहीं करते हैं, कई शादी के बाद प्यार से वंचित रह जाते हैं। तो व्यक्ति हीन महसूस करता है क्योंकि उसे व्यक्तित्व की पूरी चमक नहीं मिलती है।

ब्रेस्ट के कम ग्रोथ होने के कई कारण होते हैं।

  1. एंडोक्राइन इनसफिशिएंसी।
  2. वंशानुगत कारण
  3. टाइट ब्रा पहनने की आदत
  4. सीधे न बैठने की आदत
  5. स्तन ऊतक का अनुचित विकास
  6. माता से उचित मार्गदर्शन का अभाव
  7. सख्त अनुशासित घर का माहौल
  8. भोजन में पोषक तत्वों की कमी
  9. आयुर्वेद की दृष्टि से द्रव्यमान और वसा धातु का अभाव
  10. शर्मीला स्वभाव
  11. बचपन से ही उचित व्यायाम का अभाव

उपरोक्त सभी कारणों से या किसी एक कारण से भी स्तनों का विकास कम हो जाता है। युवती यौवन की दहलीज पर चलने लगती है, जिसे ‘पूर्वी’ कहते हैं।

हार्मोन स्राव शुरू होता है। यदि यह हार्मोन बहुत कम या नगण्य मात्रा में मौजूद हो तो स्तन पूरी तरह से विकसित नहीं होता है। गर्भाशय और योनि भी उसी तरह अविकसित रहते हैं जिस तरह से एस्ट्रिन हार्मोन की कमी वाले लोगों में स्तन अविकसित रहते हैं। शरीर की लंबाई कम रहती है। बगल या जननांग क्षेत्र में बालों की मात्रा नगण्य है। कभी-कभी मासिक धर्म की अनियमितता भी देखी जाती है।

यदि माँ का स्तन सूखा है, तो बेटी को अक्सर अविकसित स्तन विरासत में मिलते हैं। उसी प्रकार व्यक्ति का स्वभाव शर्मीला, नकारात्मक सोच वाला, घर का वातावरण तनावपूर्ण होने पर भी मन पर इसके प्रभाव से स्तनों और शरीर का विकास कम हो जाता है और ऐसा माना जाता है कि व्यक्ति को रहना चाहिए।

बचपन में कुपोषण और बुढ़ापे में भी पौष्टिक भोजन की कमी, उचित खेलकूद की कमी या शैशवावस्था से व्यायाम की कमी जैसे कारण बच्चे के शारीरिक विकास और स्तन पर इसके प्रभाव में बाधा डालते हैं। कई लड़कियां कम उम्र से ही पुरुष सेक्स से नफरत करती हैं। युवा महिलाओं के विकासशील स्तनों में शर्म या विवाह-विरोधी प्रवृत्ति की भावनाएँ भी देखी जाती हैं।

जब बेटी यौवन की दहलीज पर कदम रखे तो मां को उसकी सहेली बनकर शरीर में हो रहे आंतरिक परिवर्तनों की समझ देनी चाहिए और उसके बारे में उचित मार्गदर्शन देना चाहिए। छोटे स्तनों की समस्या तब पैदा होती है जब इस उम्र में बेटी को मां का प्यार भरा मार्गदर्शन नहीं मिलता।

आयुर्वेद की दृष्टि से स्तनों के छोटे या सूखे होने का कारण मांस और वसा धातु की कमी को माना जाता है। जिस महिला को बचपन से कृमि की समस्या रही हो, उसके शरीर में गैस या पित्त का उच्च स्तर हो, उसके सिंगल ब्रेस्टेड होने की संभावना अधिक होती है।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *