बहोत सारे रोगों का एक इलाज हे ये फल, देश के सभी भागों मे आसानी से पाया जाता हे…

केला और उसके पेड़ का अपना महत्त्व है। शकुनशास्त्री लोगों का कहना है कि मनुष्य जब किसी कार्य के लिए घर से चलता है तो यदि उसे केले के दर्शन हो जाएं तो उसे शुभ माना जाता है। विवाह के समय केले के पेड़ मंडप के चारों कोनों पर लगाये जाते हैं। अन्य शुभ अवसरों पर भी केले अथवा उसके पेड़ का उपयोग किया जाता है। अनेक प्रकार के खान-पान के अवसर पर केले के पत्ते पर ही भोजन परोसा जाता है, क्योंकि इसे पवित्र माना जाता है।

पेट संबंधी रोग: अनेक प्रकार के पेट संबंधी रोगों में केला विभिन्न प्रकार से खाया जाता है। पेट में अल्सरवाले रोगियों के लिए केला बहुत उपयोगी फल है। केला खाने से भोजन की आपूर्ति हो जाती है। अल्सरवाले रोगियों को केले खाने से पेट में दर्द का अनुभव नहीं होता हे।  इससे आंतों की सूजन कम होती है। बड़ी आंत की सूजन भी केले को भोजन के रूप में प्रयोग करने से शांत होती है। दूध और केला एक साथ खाने से अल्सर में लाभ होता है। जी मिचलाने पर और गले तक जलन अनुभव होने पर केले के साथ चीनी और इलायची खाने से जलन समाप्त हो जाती है। देशी घी के साथ केला लेने से गैस की अधिकता समाप्त हो जाती है।

गठिया: कुछ विशेषज्ञों का विचार है कि गठिया की आरम्भिक स्थिति में रोगी को 3-4 दिन यदि केले के आहार पर रखा जाए तो रोग के बढ़ने की संभावना समाप्त हो जाती है। इससे रोगी को शक्ति मिलने के साथ-साथ अंगों में एक विशेष प्रकार की लचक आती है और अकड़न समाप्त हो जाती है।

ज्वर: टाइफाइड आंतों का ज्वर होता है। इन रोगियों को यदि भोजन के रूप में केला दिया जाए तो रोग जल्दी दूर होने में सहायता मिलती है और रोग के बाद होनेवाली कमजोरी स्वतः दूर हो जाती है। इसके उपयोग से प्यास में कमी आती है और रोगी का दिल नहीं घबराता।

रक्त की कमी: केले में आयरन की काफी मात्रा विद्यमान रहती है। इसलिए रक्त की कमी वाले व्यक्ति को नियमित रूप से केला खाने को देते रहें, तो शरीर के रक्त में लाल कणों की वृद्धि होती है। इस प्रकार रक्त की कमी दूर हो जाती है।

दस्तों में: दस्तों की स्थिति में केला दही के साथ खाने के लिए देने से दस्त, पेचिश, संग्रहणी दूर हो जाती है। केले का प्रमुख गुण कब्ज कम करना है।

शरीर को मोटा करने के लिए: नियमित रूप से 2-3 महीने तक दो केले खाकर दूध पीते रहने से शरीर का मोटापा बढ़ने लगता है। इसके अतिरिक्त केला स्वप्नदोष भी दूर करता है। दुबले-पतले रोगियों और बच्चों के लिए केला बहुत गुणकारी सिद्ध होता है। बच्चे केला बहुत पसन्द भी करते हैं।

तपेदिक में: कच्चे केले की सब्जी बनाकर खाने से क्षय रोग में लाभ होता है। केले के पेड़ का रस भी क्षय रोगी के लिए उपयोगी है। क्षय रोग में जब रोगी की हालत बिगड़ने लगती है और खांसी अधिक बढ़ती है, उस समय केले के तने का रस बहुत उपयोगी सिद्ध होता है। रोगी को केले का रस थोड़ा-थोड़ा करके पिलाना चाहिए। केले के तने का पानी पिलाते रहने से तपेदिक के रोगी के फेफड़ों से बलगम आसानी से निकलने लगती है। केले के तने के रस में थोड़ा घी मिलाकर पिलाने से रुका हुआ पेशाब आने लगता है।

नकसीर: जिन लोगों को नाक से खून बहता हो, उन्हें चाहिए कि एक गिलास दूध में शक्कर मिलाकर दो केलों के साथ निरंतर दस दिन सेवन करें, लाभ होगा। जलने पर आग से जलने पर केले को पीसकर लगाने से लाभ होता है।

मुख के छाले: जीभ पर छाले होने पर एक केला दही के साथ प्रातःकाल सेवन करने से मुख के छाले ठीक हो जाते हैं। केला कोलेस्ट्रोल को नियंत्रित रखता है।

दमा: दमा के रोगियों को केला कम खाना चाहिए और यह ध्यान रखना चाहिए कि केला खाने से दमा बढ़ता तो नहीं? केला खाने से दमा बढ़े तो केला नहीं खाना चाहिए। दमे में केले से एलर्जी हो सकती है।

बार-बार पेशाब आना: एक केला खाकर आधा कप आंवले के रस में स्वाद के अनुसार चीनी मिलाकर पियें। बार-बार पेशाब का आना बंद हो जाएगा। अकेला केला खाने से भी बार-बार पेशाब आना कम हो जाता है।

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